अनुआई हाजार - दिलीप कुमार पाण्डेय

जनता का हित से जे करे खेलवाड़,
ओकर अनुआई बाड़े हाजार।
आमानत में जे करे खेयानत,
ओकर इज्जत बाटे सलामत।
सरकारी धन जे छन में गटके,
ओकरा गरदन में लम्हर माला लटके।
रंग रंगदार लोके कहीं गाड़ी अंटके,
आ जाय नेताजी के फोन टटके।
केहू केहू देखावे रंग आपन हटके,
ओढ़ी कमर भीतरे घीव गटके।
नेतागिरी के चमकल बा बाजार,
एकर अनुआई बाड़े हाजार॥
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लेखक परिचय:-
नाम-दिलीप कुमार पाण्डेय
बेवसाय: विज्ञान शिक्षक
पता: सैखोवाघाट, तिनसुकिया, असम
मूल निवासी -अगौथर, मढौडा ,सारण।
मो नं: 9707096238

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