चइत उसुकावे - डॉ अशोक द्विवेदी

मन परे पाछिल बतिया
ए बेरी चइत उसकावे!
निनिया उड़ावे अधरतिया
इ बेरी चइत उसकावे!

कुरुई भरल रस महुवा कऽ पियले
पुरुवा बखोरे मधुवाइ अनचितले
देहियाँ कऽ सइ गो सँसतिया
इ बेरी चइत उसकावे!

मुसवा-बिलइया चुहनिया अँगनवाँ
खरकेला कुठु गिरे कहीं बरतनवाँ
धड़केले काहे दूनी छतिया
इ बेरी चइत उसकावे!

उनुका नोकरिया कऽ बाटे एतना
सँग कहाँ रहिहें देखलको कऽ सपना
फुटही मिलल किसमतिया
इ बेरी चइत उसकावे!

निनिया उड़ावे अधरतिया
इ बेरी चइत उसकावे!
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लेखक परिचय:-
नाम: डॉ अशोक द्विवेदी
संपादक: पाती
रचना: बनचरी, फुटल किरिन हजार, गाँव के भीतर गाँव आदि
सम्मान: राहुल सांस्कृत्यान पुरस्कार, भोजपुरी शिरोमणि आदि
बलिया, उत्तर प्रदेश

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