ई बिटिया हौ
कहि के
पेटे में ऐकरा के
मार दिहल जाला;
जो पैदो भइल
तऽ बेटवा के आगे
दुत्कार दिहल जाला।
झूठ हौ कहल
कि बिटिया हौ गहना,
जे है सच हौ!
तऽ काँहे के
केहु कऽ बिटिया,
जराय दिहल जाला।
पेट में ऐकराके मार दिहल जाला।
ई दुनिया मरद कऽ,
खुसियो मरद कऽ;
शादी बियाहे कऽ शापित बे बेवा,
कि मरद के सगरी खुशी में,
बोलाई लिहल जाला!
हौ जग कऽ रीति
कि बेवा बिटियवन के खुशीयन क मैना,
बंद पिंजरा में कईके रोआई दिहल जाला।
ई बिटिया हौ
कहि के
पेटे में ऐकरा के
मार दिहल जाला॥
पेटे में ऐकरा के
मार दिहल जाला;
जो पैदो भइल
तऽ बेटवा के आगे
दुत्कार दिहल जाला।
झूठ हौ कहल
कि बिटिया हौ गहना,
जे है सच हौ!
तऽ काँहे के
केहु कऽ बिटिया,
जराय दिहल जाला।
पेट में ऐकराके मार दिहल जाला।
ई दुनिया मरद कऽ,
खुसियो मरद कऽ;
शादी बियाहे कऽ शापित बे बेवा,
कि मरद के सगरी खुशी में,
बोलाई लिहल जाला!
हौ जग कऽ रीति
कि बेवा बिटियवन के खुशीयन क मैना,
बंद पिंजरा में कईके रोआई दिहल जाला।
ई बिटिया हौ
कहि के
पेटे में ऐकरा के
मार दिहल जाला॥
------------------------------
अंक - 105 (08 नवम्बर 2016)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें