पोरे-पोरे सभ इहंवे समाई
अँखिया के बिजूरी, मन के रोवाई॥
कईल धईल सभ कुछु जाई ओराई
गुनलऽ गँवावल साथ निभाई॥
छन-छन बदलेला बदरी के बोल हो
बोलिया ऊहे तोहके काल्ह रिगाई॥
नाता-नाती जेवन तू बनवलऽ बिगड़लऽ
उहे काल्ह परसो बोझा कहाई॥
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अँखिया के बिजूरी, मन के रोवाई॥
कईल धईल सभ कुछु जाई ओराई
गुनलऽ गँवावल साथ निभाई॥
छन-छन बदलेला बदरी के बोल हो
बोलिया ऊहे तोहके काल्ह रिगाई॥
नाता-नाती जेवन तू बनवलऽ बिगड़लऽ
उहे काल्ह परसो बोझा कहाई॥
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लेखक परिचय:-
नाम: राजीव उपाध्याय
पता: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश
लेखन: साहित्य (कविता व कहानी) एवं अर्थशास्त्र
संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in
दूरभाष संख्या: 7503628659
ब्लाग: http://www.swayamshunya.in/
फेसबुक: https://www.facebook.com/rajeevpens
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अंक - 90 (26 जुलाई 2016)
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