बरिसेला आसारह जब
भूईं सीझल सोन्हा जाले
टह-टह घाम
पएना के पठा जाले।
कि जुआठ लादऽ
नथिया कसऽ बैलन के
पीटवा लऽ फार
पूरूआ के मन बहके।
गोंइया जेकर बा
खेते के हाल अब
जोती, बोई, रोपी
जिनगी के फर बस।
अंखुआई जेवन काल्ह
बिया उखराई, रोपाई उहे
अइसे लहकेला धान
गाड़े काँहे खूँटा खेते?
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भूईं सीझल सोन्हा जाले
टह-टह घाम
पएना के पठा जाले।
कि जुआठ लादऽ
नथिया कसऽ बैलन के
पीटवा लऽ फार
पूरूआ के मन बहके।
गोंइया जेकर बा
खेते के हाल अब
जोती, बोई, रोपी
जिनगी के फर बस।
अंखुआई जेवन काल्ह
बिया उखराई, रोपाई उहे
अइसे लहकेला धान
गाड़े काँहे खूँटा खेते?
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लेखक परिचय:-
नाम: राजीव उपाध्यायपता: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश
लेखन: साहित्य (कविता व कहानी) एवं अर्थशास्त्र
संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in
दूरभाष संख्या: 7503628659
ब्लाग: http://www.swayamshunya.in/
फेसबुक: https://www.facebook.com/rajeevpens
अंक - 86 (28 जून 2016)
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