खुद में खोअल रहते बा
दुनिया पागल कहते बा
बात प दुनिया के मत जा,
बहुते कहलसु, कहते बा
पुर्नाहुत तक देखत जा,
ई त, यार, समहुते बा
दुलम त हमरा चुटकी भर
उनका भर-भर पहते बा
डूबे के चुरुआ काफी
ठेहुन भर त बहुते बा
कविते ना, तहजीबो ह
ग़ज़ल सभे त कहते बा
अंखियाँ से का दूर भइल
'आसिफ' दिल में रहते बा
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अंक - 43 (1 सितम्बर 2015)
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