भोर - बच्चन पाठक 'सलिल'

दक्खिन से आइल ई हउवा कॅुवरकी
गत्तर-गत्तर गुदरा जाले;
लहर उढे झीलवा में जइसे
नयकी धियवा अगरा जाले।

कुंजन के लिलरा पर शबनम के बिंदिया
देखि-देखि कोइलरि चिहाइ;
उगल किरिनिया पहाड़ी पर पहुँचल,
सोना के आँचर फहराइ।

कइसे वताईं कतना उठल बा,
रूप के समुन्दर हिलोर?
डतरल बा सीखे सरग ई एहिजा,
कि आइल पहाड़िन पर भोर?
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लेखक परिचय:-

नाम: डा. बच्चन पाठक 'सलिल' 
जनम: 17 सितंबर 1937
मरन: 10-04-2016
जनम थान: रहथुआ, भोजपुर, बिहार
रचना: मन के गीत सुनाईल, सेमर के फूल

अंक - 78 (03 मई 2016)

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