काशी धूम मचे
काशी धूम मचे आज पशुपति खेलत फाग
काशी धूम---------
पशुपति खेलत फाग हो
आहो पशुपति खेलत फाग
काशी धूम --------
साँची मगही गुलाबी बीड़ा, कंचन थाल मशाला
इतसे शंकर भांग धतूरा, चन्द्र विराजत भाल
काशी धूम ------
हीरा जड़ित कनक पिचकारी, नौ मन उड़त गुलाला
भर पिचकारी गौरा जी पर मारे, गौरा हो गयी लाल
काशी धूम मचै--------
भैरो के सिर पाग रंगाये, कुसुम रंगाये बैताला
नन्द कुँवर सिर सोहे गौरा के, शंकर के मृग छाल
काशी धूम----
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जनकपुर आयहु राज दुलार
फगुआ फाग खेलन को जनकपुर आयहु राज दुलार
फगुआ फ
फाग
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आयहु राज दुलार हो
आहो आयहु राज दुलार
फगुआ फाग---
कोयल कुहुके पपिहा पिहके
देख बसंत बहारा
गृह-गृह युवति होली खेले
कंचन कलश हजार
फगुआ फाग -----
धौंसा धमके तबला ठनके, राजा जनक जी के द्वार
रंगमहल मिथिलेशकिशोरी
संग लिये सखियाँ हजार
फगुआ फाग -----
जनक दुलारी अबिर लिये झोरी, केसर राजदुलार
मचेउ धराधर रंगमहल में, शोभा अगम अपार
फगुआ फाग-----
रामजी रंग सिया पर चिड़के, सखियाँ देत ललकारा
नन्द कुमार अबिर अभरख से, भर गये शहर बजार
फगुआ फाग-----
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नन्दकुमार त्रिपाठी
अंक - 72 (22 मार्च 2016)
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