फागुन के महीना आइल ऊड़े रंग गुलाल।
एक ही रंग में सभै रंगाइल लोगवा भइल बेहाल॥
जोगीरा सारारारारारारारा......
गोरिया घर से बाहर गइली, भऽरे गइली पानी।
बीच कुँआ पर लात फिसल
ल
, गिरि गइली चितानी॥
जोगीरा सारारारारारारारा......
चिउरा करे चरर चरर, दही लबा लब।
दूनो बीचै गूर मिलाके मारऽ गबा गब॥
जोगीरा सारारारारारारारा......
सावन मास लुगइया चमके, कातिक मास में कूकुर।
फागुन मास मनइया चमके, करे हुकुर हुकुर॥
जोगीरा सारारारारारारारा......
एक त चीकन पुरइन पतई, दूसर चीकन घीव।
तीसर चीकन गोरी के जोबना, देखि के ललचे जीव॥
जोगीरा सारारारारारारारा......
भउजी के सामान बनल बा अँखिया कइली काजर।
ओठवा लाले-लाल रंगवली बूना कइली चाकर॥
जोगीरा सारारारारारारारा......
बनवा बीच कोइलिया बोले, पपिहा नदी के तीर।
अंगना में भउजइया डोले, जइसे झलके नीर॥
जोगीरा सारारारारारारारा......
कै हाथ के धोती पहना कै हाथ लपेटा।
कै घाट का पानी पीता, कै बाप का बेटा?
जोगीरा सारारारारारारारा......
एक कुआं में सात कबूतर सातों मांगे दाना
लाखन बाबा ताल लगावे नाचे उनकर नाना
जोगीरा सारारारारारारारा......
के पीये हर घाट क पानी, के बा परम सयानी
केकर चुनरी दाग लागल, के धोयेला पानी
।
रानी पीये हर घाट क पानी, राजा परम सयानी
पबलिक चुनरी दाग लागल, कोइ न धोये पानी।
जोगीरा सारारारारारारारा......
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अज्ञात
अंक - 72 (22 मार्च 2016)
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