कोखिये में तूरि दिहलू, सपना ए माई
हमहूँ बनितीं बेदी, आ कलपना माई!
कवन कसूर कइनी कइलू तू दूर हो
केकरा करनिया से, भइलू मजबूर हो
दूर कइलू नेहिया से, अपना ए माई!
अंगे-अंगे कोखिये में, मोर कटववलू
दया-माया नाहि आइल, नाली में बहवलू
सीखि लिहलू बेटा-बेटा जपना ए माई!
होखिती सेयान, सेवा खूब तोहार करितीं
देखि लिहतीं दुनिया, आ तहरो के तरितीं
मीटि जाइत हियरा के, तपना ए माई!
एके कोखी बेटा-बेटी, कइलू तू भेद हो
हतेया कराइ दिहलू , पढ़लू लबेद हो
कहियो पछतइबू, डललू ढपना ए माई!
गतरे-गतर काटि देलस, काटत बाटे मूड़ी
खूने-खून कइ देलस डाकडर के छूड़ी
कइसन मशीन आइल नपना ए माई!
दरदे बेकल हम पेटवे में भइनी
रोवनी कलपनी आ खूबे छपटइनी
छोड़ि द तू राम नाम जपना ए माई!
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नाम: सुरेश कांटक
ग्राम-पोस्ट: कांट
भाया: ब्रह्मपुर
जिला: बक्सर
बिहार - ८०२११२
अंक - 63 (19 जनवरी 2016)
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