बात कइसन गढ़ाइल, न सोहाईल ए बाबा।
बात सोगहग रहल, ई नईखे पता।
घटना काहें भइल, बा केकर खता।
बेमतलब मे मनई पिसाइल, ए बाबा॥
धरम-जात-मजहब क खाका बुनल
बिन प्रयोजन, बिना बात, आका चुनल
नीमन सनेहिया क डोर कटाइल ए बाबा॥
मुहजोरी के फेरु बवंडर उठल।
बउरपन के कूल्ही रेकड़ टुटल।
सँवारे क मंतर कुल भुलाइल, ए बाबा॥
केहु पचरा कहल केहु खाली सुनल।
केहु झनकल , पटकल न केहु गुनल।
उहवाँ केहु न आपन भेंटाइल ए बाबा॥
सच्चाई के उहाँ महटियावल गइल।
कड़ुवाहट के खाली बढ़ावल गइल।
निरा राजनीति के रोटी सेंकाइल ए बाबा॥
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लेखक परिचय:-
नाम: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
मैनेजिग एडिटर (वेव) भोजपुरी पंचायत
बेवसाय: इंजीनियरिंग स्नातक कम्पुटर व्यापार मे सेवा
संपर्क सूत्र:
सी-39 ,सेक्टर – 3
चिरंजीव विहार, गाजियावाद (उ. प्र.)
फोन : 9999614657
अंक - 58 (15 दिसम्बर 2015)
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