शुभ-शुभ-शुभ नया साल हो
बासल बयार ऋतुराज क सनेस देत
गोरकी चननिया क अँचरा-गुलाल हो
खेत-खरिहान में सिवान भरी दाना-दाना
चिरईं के पुतवो ना कतहूँ कँगाल हो
हरियर धनिया चटनिया-टमटरा क
मटरा के छेमिया के गदगर दाल हो
नया-नया भात हो सनेहिया के बात हो
एहि बिधि शुभ-शुभ-शुभ नया साल हो।
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लेखक परिचय:-
नाम: राम जियावन दास 'बावला'
जनम: 1 जून 1922, भीखमपुर, चकिया
चँदौली, उत्तर प्रदेश
मरन: 1 मई 2012
रचना: गीतलोक, भोजपुरी रामायण (अप्रकासित)
अंक - 54 (17 नवम्बर 2015)
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