हसिबा बेलिबा रहिबा रंग।
काम क्रोध न करिबा संग।।
हसिबा षेलिबा गाइबा गीत।
दिढ़ करि राषिबा अपना चीत।।
हसिबा षेलिबा धरिबा ध्यान।
अहनिसि कथिबा ब्रह्म गियान।।
हसै षेलै न करै मत भंग।
ते निहचल सदा नाथ के संग।।
हबकि न बोलिबा ढबकि
न चलिबा धीरे धरिबा पांव।
गरब न करिबा सहजै
रहिबा भणत गोरष रांव।।
धाये न षाइबा भूषे न मरिबा
अहनिसि लैब ब्रह्म अगिनि का भेवं
हठ न करिबा पड़या न
रहिबा यूँ बोल्या गोरष देवं।।
काम क्रोध न करिबा संग।।
हसिबा षेलिबा गाइबा गीत।
दिढ़ करि राषिबा अपना चीत।।
हसिबा षेलिबा धरिबा ध्यान।
अहनिसि कथिबा ब्रह्म गियान।।
हसै षेलै न करै मत भंग।
ते निहचल सदा नाथ के संग।।
हबकि न बोलिबा ढबकि
न चलिबा धीरे धरिबा पांव।
गरब न करिबा सहजै
रहिबा भणत गोरष रांव।।
धाये न षाइबा भूषे न मरिबा
अहनिसि लैब ब्रह्म अगिनि का भेवं
हठ न करिबा पड़या न
रहिबा यूँ बोल्या गोरष देवं।।
------------संत गोरखनाथ
अंक - 44 (8 सितम्बर 2015)
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