कवना ओरी - दिलीप कुमार पाण्डेय

लिखे के त सहुरे नइखे का हम लिखीं,
जीभ बा काटाईल त नुन कइसे चिखीं।
 
पतई क रंग देख खाद खरी बांटाय,
खाली हाथे लौटले घरे मुँह लटकाय।

चहके आला चिरई पिंजरा में कसाइल,
केनिओं अंजोर नइखे मन अंउजीआईल।

दुख के पाहाड़ देखि का होखी अब दुखी,
लिखे के त सहुरे नइखे का हम लिखीं।
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लेखक परिचय:-
नाम-दिलीप कुमार पाण्डेय
बेवसाय: विज्ञान शिक्षक
पता: सैखोवाघाट, तिनसुकिया, असम
मूल निवासी -अगौथर, मढौडा ,सारण।
मो नं: 9707096238

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