उसूलन के सूली पर लटकल
लम्हर छरहर दिन
रात के करिया समुन्दर में
डूब गइल,आ
कुंवार भोरहरिया रांड़ हो गइल
अंक - 22 (7 अप्रैल 2015)
लम्हर छरहर दिन
रात के करिया समुन्दर में
डूब गइल,आ
कुंवार भोरहरिया रांड़ हो गइल
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अंक - 22 (7 अप्रैल 2015)
लेखक परिचय:-
कवि एवं लेखक
चंपारण(बिहार)
E-mail:- gulrez300@gmail.com
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