
रउआँ सभ के सोझा राजीव उपाध्याय के कबिता 'होई जाई सून सब गांव जवार' परस्तुत बा। पढ़ीं औरी आपन राय दीं।
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छोड़ि के कहां चललऽ घर दुवारहोई जाई सून सब गाँव जवार॥
जहाँ जात बाड़ऽ उहाँ, कुछू ना भेटाई
पर बिना तोहारा इहाँ होई अकाज।
जहिया तू कमइब तहिए बस खइब
सूतबऽऽ तऽ सूता पड़ी, होइब खराब॥
होई जाई सून सब गाँव जवार॥
जहिया ना खबर आई भइया तोहार
माई-बाप रोई, भौजी होईहें बेहाल।
अबो तऽ लवटि आवऽ गंगा कछार
बहुते घइले बा, ई गाँव के ताल॥
होई जाई सून सब गाँव जवार॥
पर बिना तोहारा इहाँ होई अकाज।
जहिया तू कमइब तहिए बस खइब
सूतबऽऽ तऽ सूता पड़ी, होइब खराब॥
होई जाई सून सब गाँव जवार॥
जहिया ना खबर आई भइया तोहार
माई-बाप रोई, भौजी होईहें बेहाल।
अबो तऽ लवटि आवऽ गंगा कछार
बहुते घइले बा, ई गाँव के ताल॥
होई जाई सून सब गाँव जवार॥
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लेखक परिचय:-
पता: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश
लेखन: साहित्य (कविता व कहानी) एवं अर्थशास्त्र
दूरभाष संख्या: 7503628659
ब्लाग: http://www.swayamshunya.in/
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