होति बा लड़ाई घनघोर जे फराँस बीच,
तवने के चारु ओर चरचा सुनात बा।
चमचम तलवारि चमकति बाटे,
धमधम गोला तोप घहरात बा।
बीर हरषत बाड़े, रन में लड़त बाड़े,
कायर डरत बाड़े, मन घबरात बा।
‘दूधनाथ’ बीरन्हि के भुजा फरकति बाड़े,
लड़े के चाहत बाड़े, मन हरषात बा।
--------------दूधनाथ उपाध्याय
अंक - 21 (31 मार्च 2015)
तवने के चारु ओर चरचा सुनात बा।
चमचम तलवारि चमकति बाटे,
धमधम गोला तोप घहरात बा।
बीर हरषत बाड़े, रन में लड़त बाड़े,
कायर डरत बाड़े, मन घबरात बा।
‘दूधनाथ’ बीरन्हि के भुजा फरकति बाड़े,
लड़े के चाहत बाड़े, मन हरषात बा।
--------------दूधनाथ उपाध्याय
अंक - 21 (31 मार्च 2015)
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