हंस करना नेवास अमरपुर में।
चलै ना चरखा, बोलै ना ताँती
अमर चीर पेन्है बहु भाँती।। हंस......।।
गगन ना गरजै, चुए ना पानी
अमृत जलवा सहज भरि आनी।। हंस......।।
भुख नहीं लागे, ना लागे पियासा,
अमृत भोजन करे सुख बासा।। हंस......।।
नाथ भीखम गुरु सबद बिवेका
जो नर जपे सतगुरु उपदेसा।। हंस......।।
चलै ना चरखा, बोलै ना ताँती
अमर चीर पेन्है बहु भाँती।। हंस......।।
गगन ना गरजै, चुए ना पानी
अमृत जलवा सहज भरि आनी।। हंस......।।
भुख नहीं लागे, ना लागे पियासा,
अमृत भोजन करे सुख बासा।। हंस......।।
नाथ भीखम गुरु सबद बिवेका
जो नर जपे सतगुरु उपदेसा।। हंस......।।
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