इ बतीया कऽ फइला द हर गली जवार,
देखत रह जाई इ पुरा संसार,
मिटा द हिन्दुस्तान से
दुश्मनी के नावो निशान,
तबे कहइब तु खाटी भोजपुरीया
जवान।
डटल रह तु सीमा पर, नाही
छोड़ तु करम के साथ,
मुआ द हर एक दुश्मन के,
जे
रखेला हिन्दुस्तान के खातीर बाउर एहसास,
आगे आगे बढ़त चल दुमश्न के
नाश करत चल,
तब कहईब तु खाटी भोजपुरिया
जवान।
केहु कहे पुरवईया त, केहु
कहे भोजपुर के जान,
बचाल हर भोजपुरीयन के शान,
जे कहेला तोहे भोजपुरीया
जवान,
डटल रहऽ तु लड़त रहऽ
मैदानी जंग से नाही पिछा तु छोड़ा,
आगे बा खुशहाल हिन्दुस्तान,
तबे कहइब तु खाटी भोजपुरीया
जवान।
नेता लोगन के चलते होता
पुरा भारत बदनाम,
नक्सलीन के हमला पर हमला
होता,
बाकीर नईखे निकलत कउनो
निदान,
तड़प रहल बा पुरा भारत ,
सब तरफ नजर घुमाव,
छोड़ऽ आपन नजरी के बान,
मुआ द सब दुश्मन के जे करता
आम जनता के परेशान,
तबे कहईब तु खाटी भोजपुरीया
जवान।
केहु के माई रोए, रोए केहु
के बहीन,
तऽ करता केहु के मेहरी घर मे
आपन सजना के इन्तजार,
जे ले रहलबा सरहद पर आपन
देश के बचावे ज्ञान।
उहे तऽ हऽ आपन देश के खाटी
भोजपुरीया जवान।
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लेखक परिचय:-
नाम - प्रिंस रितुराज दुबे
अंडाल, दूर्गापुर, पश्चिम बंगाल
ई-मेल:- princerituraj@live.com
मो:- 9851605808
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