झूठ के झउवा - जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

झूठ के झउवा 
ढोआता 
लोर आखीं के 
नाही पोंछाता 
उनका हाथे जबले डोर 
मासूमे पिसाता। 

का का लिखीं 
काहें लिखीं 
कइसे लिखीं 
चमचन के राज में 
बिगड़ल साज में
न संगीते समाता। 

राग कवन 
साज कवन 
बजनीहार कूल्हे नवहा 
ताल बेताल संग 
सुर ताल मिलल बा 
कवन धुन गवाता।
---------------------
अंक - 70 (8 मार्च 2016)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.