केशव मोहन पाण्डेय जी कऽ दू गो कबिता

प्रयास

जिनगी ज़हर ना ह
हहरावेले
घहरावेले
तबो
कहर ना ह।
जिनगी
राग ह
रंग ह
एह के
आपन-आपन ढंग ह
ई कई बेर बुझाले
कि बिना बिआहे के बाजा ह
छन में फकीर ह ई
छन में
चक्रवर्ती राजा ह।
उठा-पटक जिनगी में
चलते रही
जे चली ना
ऊ त
हाथ मलते रही
ई त सभे जानेला
कि पानी बही ना
त गड़हा में ठहर के
मर जाई
बबुआ
सुतला से कुछ ना मिली
सुतले रहब
आ भइसीया
सगरो खेत चर जाई
उठs
प्रयास करs
जाँगर भर जोर लगाव
जे आगे बा
ओहसे होड़ लगाव
कवनो अनुग्रह-अनुदान के
मुँह मत देखs
कर्म के जोत जराव,
कर्म होई
त फल मिलबे करी
सिद्ध क के देखाव,
निश्चित बा
तहरा मन के फूल
खिलबे करी।
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कवि

ऊ कवि हवन
कविता के नाम पर
फूहड़ता परोसे ले
दारू पी पी के
दोसरा के कोसेले
मंच के पहिले
भाव तय करेले
साहित्य आ समाज के
दूनो के क्षय करेले
ताली बटोरे खातिर
ताल-तुक तुरेले
गलती निकालीं त
उल्लू जस
आँख गुड़ेरे ले
कहेले
हर ठाँव पहुंचे वाला रवि हवन।।
श्लील-अश्लील के
कवनो पैमाना ना
उनका खातिर
उनका बिना
कवनो
काव्य के जमाना ना
बोलत बोलत मुँहवा से
फेन फेंके लागेले
काव्य-कला चर्चा पर
हाथ जोड़ भागेले
अइसन कविताई पर
बज्जर पड़ो
आग लागो
कविता के सेवक
जागो त
अब्बो जागो
जागे कविकुल कि
सारा जहान जागे
सृष्टि के कण कण
धरती आ आसमान जागे
सथवे सुतल मन
आपन हिन्दुस्तान जागे
जागे जब सगरो त
तनि झकझोर जागे
बुद्धिआगर त जगबे करे
अबकी मथमहोर जागे
तब्बे त ओह कवि के
सृजन संसार जिंदा रही
कवि के कविता रही
ऊ कलमकार जिंदा रही
जिंदा रही उहे
जे संचहू साहित्य के काम करी
देह कबो मर जाई
बाकीर अक्षर अक्षर नाम करी
सबके करेजा बीच
बनी नेह के भवन
तब दुनिया कही
ऊ कवि हवन।।
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लेखक परिचय:-

2002 से एगो साहित्यिक संस्था ‘संवाद’ के संचालन। 
अनेक पत्र-पत्रिकन में तीन सौ से अधिका लेख 
दर्जनो कहानी, आ अनेके कविता प्रकाशित। 
नाटक लेखन आ प्रस्तुति। 
भोजपुरी कहानी-संग्रह 'कठकरेज' प्रकाशित। 
आकाशवाणी गोरखपुर से कईगो कहानियन के प्रसारण 
टेली फिल्म औलाद समेत भोजपुरी फिलिम ‘कब आई डोलिया कहार’ के लेखन 
अनेके अलबमन ला हिंदी, भोजपुरी गीत रचना. 
साल 2002 से दिल्ली में शिक्षण आ स्वतंत्र लेखन. 
संपर्क – 
पता- तमकुही रोड, सेवरही, कुशीनगर, उ. प्र. 
kmpandey76@gmail.com
अंक - 81 (24 मई 2016)

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