सेवा धरम उठल धरती से, सेवा भाव जगावा ना ॥
नीमन नीमन लोगन के खोजा, नीमन बात सिखावा ना ॥
शीत युद्ध के लदल जमाना , दादागिरी के आइल बा ।
घन अनिहारे ज्योति किरन , जाने कहाँ भुलाइल बा ।
सफेदीयो पर से रंग उड़ल , नया रंग चढ़ावा ना ॥ नीमन ..............
कुले जलावल तोहार दीयना , जाने कवन बुझा गइलन ।
पक्ष – विपक्ष लड़े दिन–रात , जुत्तम-पैजार सीखा गइलन ॥
नैतिकता के दीप जली कब ,हाली जुगत लगावा ना ॥ नीमन ..........
मुफतखोरी बढ़े दिन रात , कोई बचल न एकरा से ।
कौनों ‘लेवल’ भले लगल हौ , साँच छिपाईं केकरा से ।
सभई लगावे लगल मुखौटा , तोही पहचान करावा ना ॥ नीमन .....
कब सुधरी आदत इनहन के , कवन नयी हवा चली ।
कब दुनियाँ के होश मे लइबा, कहिया लगी सुबह भली ।
ओही दिनवा के इंतजार बा , बिजई संख बजावा ना ॥ नीमन ......
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लेखक परिचय:-
नाम: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
मैनेजिग एडिटर (वेव) भोजपुरी पंचायत
बेवसाय: इंजीनियरिंग स्नातक कम्पुटर व्यापार मे सेवा
संपर्क सूत्र:
सी-39 ,सेक्टर – 3
चिरंजीव विहार, गाजियावाद (उ. प्र.)
फोन : 9999614657
अंक - 81 (24 मई 2016)
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