इमेज क चक्कर - जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

दूसरा के दुख न बुझाला,
गुड़ से नीमन शक्कर बा।
सभ इमेज के चक्कर बा॥ 

गुजर गइला पे नीमन लागे 
ई इहवा के नीति बाटे।
कोस कोस के थाकल जबले 
मुह चटला के रीति बाटे॥


फाटल लुगरी मसकत जाला 
लोगवा कहेलन फक्कड़ बा॥ 
सभ इमेज के चक्कर बा॥

कुहूंकत कंहरत जीये लगलन 
कहिन नियति के लेखा ह।
ठिठुर ठिठुर के जाड़ बीतइहै 
बनल हाथ के रेखा ह।

घर दुवरा बा कुल्हि फुटपाथवे 
बनत लाल बुझक्कड़ बा॥ 
सभ इमेज के चक्कर बा॥

घरे घिन्नाने लईकन से 
झुग्गी मे उठावें गोदी।
पनीर से नीचे पचत नईखे
नुक्कड़ पे खइलन बोदी।

सभका भईया बबुआ बोलल 
चुनाव जीते के मंतर बा ॥
सभ इमेज के चक्कर बा॥
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लेखक परिचय:-

नाम: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी 
मैनेजिग एडिटर (वेव) भोजपुरी पंचायत
बेवसाय: इंजीनियरिंग स्नातक कम्पुटर व्यापार मे सेवा
संपर्क सूत्र: 
सी-39 ,सेक्टर – 3 

चिरंजीव विहार, गाजियावाद (उ. प्र.) 
फोन : 9999614657
अंक - 50 (20 अक्टूबर 2015)

2 टिप्‍पणियां:

  1. जयशंकर प्रसाद द्विवेद जी के रचना इमेज के चक्कर अच्छा लागल. सामाजिक परिवेश के चित्रन बढ़िया लागल. बधाई!

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