पग पग धरती सिवनवा क नापइ
देहियाँ क सुधि नाहीं फटहा झिंगोला।
तपनी थिथोर होय सँझवा के दर दर
बुढ़ऊ क कहनी सोहाय भर टोला।
उँखिया क रस कोल्हुवड़वा बोलावइ
गुड़वा सोन्हाय त उमगि जाय चोला।
गँवई क गाँव जहाँ दिन भर चाँव माँव
धूरिया लपेट के फिरैलैं बम भोला।।
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लेखक परिचय:-
नाम: राम जियावन दास 'बावला'
जनम: 1 जून 1922, भीखमपुर, चकिया
चँदौली, उत्तर प्रदेश
मरन: 1 मई 2012
रचना: गीतलोक, भोजपुरी रामायण (अप्रकासित)
अंक - 49 (13 अक्टूबर 2015)
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