झुलनियाँ उधार ना मिली

जब निरगुन लिखे औरी गावे परम्परा खतम हो रह बे ओमे अशोक कुमार तिवारी जी के ई निरगुन आस जगावत बा। जेवन बात परतीकन के हाथे गोड़े कहल गईल बा ऊ जिनगी के सांच बा।
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चतुर सोनरा करेला कार-बारऽ
झुलनियाँ उधार ना मिली।

पाँच रतन के ई बनली झुलनिया
हीरा-मोती मूँगा लागल सोना चनिया।
देखि के मनवा लोभाइल हमार।
चतुर सोनरा करेला कार-बारऽ॥

केतनो मनाइले तबो नाहीं माने
सुने ना निहोरा आपन वाली ठाने।
हम चिरउरी करीले बार-बारऽ
चतुर सोनरा करेला कार-बारऽ॥

देइब उधारे त हमके भुलइबू
जाई तगादा त झूठे पछतइबू।
धन्धा में ना चले उपकारऽ
चतुर सोनरा करेला कार-बारऽ॥

कहे अशोक बाटे दुनिया के रीतिया
लेबहीं के बेर जागेले पिरितिया।
लेके भूलि जालाअ सारा सनसारऽ
चतुर सोनरा करेला कार-बारऽ॥
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लेखक परिचय:-

नाम: अशोक कुमार तिवारी
काम: वकालत
पता: सूर्यभानपुर, दोकटही, बैरिया 
बलिया, उत्तर प्रदेश
मो: 9125662164
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