चलत-चलत मोरा पईया पिरइले - महेन्द्र मिश्र

चलत-चलत मोरा पईया पिरइले, ए ननदिया मोरी रे
तबहूं ना मिलेला उदेश, ए ननदिया मोरी रे।

अपने न अइलें पिया भेजलें ना सनेसवा, ए ननदिया मोरी रे।
भेज देले डोलिया कहार, ए ननदिया मोरी रे।

संग के सखी सब छोड़के परइलीख्ए ननदिया मोरी रे।
जात अकेले डरवा होय ए ननदिया मोरी रे।

टोला परोसा मिली डोलिया चढ़वले ए ननदिया मोरी रे।
डाल देले सवुजी ओहार ए ननदिया मोरी रे।
छूटल जाला बाबा के दुआर, ए ननदिया मोरी रे।

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