प्रभु श्री राम के सुघ्घर मूरत - पंकज तिवारी

२२ जनवरी इतिहास में हमेशा बदे दर्ज हो गइल बिया। प्रभु श्री राम, सबके राम, सबमें राम जइसन दृश्य अब हर जगह नजर आ रहल ह्ऽ। सगरी विश्व राममय हो गइल ह्ऽ। सदियन से तड़प रहल भोली- भाली जनता के मन सुकून से भर गइल ह्ऽ। जियरा जुड़ा गइल होखे जइसन सबकर। जगहां-जगहां खुशी के माहौल व्याप्त हो गइल बिया। पशु-पक्षियन, पेड़- पौधन, मेघ-पानी, मन-मनई हर जगह बस अउरी बस खुशी के लहर उमड़ रहल ह्ऽ। अइसन लाग रहल हऽ जैइसन ऊसर-पापड़ में भी जान आ गइल हऽ। सबकर के मन मगन हो मोर नियन नाच रहल बिया। सूखल पड़ी जनकपुर के धरती पऽ माता सीता के अइलऽ के बाद जवन् बरसात भइल रहे कुछ अइसहीं खुशी के बरसात एहं समय लोगन के अखिंयन से हो रहल बा। प्रभु श्री राम टेंट से अब फेरि अपने मंदिर में बिराज रहल बानी आ आशीर्वाद मुद्रा से सगरी जगत के कल्याण कर रहल बानी। अयोध्या में स्थापित उनुकर बाल स्वरूप एतना मोहक बनि गइल बा कि भक्त नेह भरिके घंटन निहरला के बादौ अघात नइखे, अउरी मोहक मुस्कान पऽ तऽ सारी दुनिया मरि-मरि जा रहल ह्ऽ।

कहल जा सकेला कि-

श्यामऽ सुरतिया प्रभु के, मोहनी मुरतिया हो।
धाये-धाये आवंइ लोगवां दर्शन के असिया हो।।
अंखियां में नेंह भरल हऽ जग के निहारेलन
दुखियन के दुख दारिद्दर पल में हटावेलन
एक हाथे तीर सजल बा एक में धनुषिया हो।
धाये-धाये आवंइ लोगवां दर्शन के असिया हो।।
घुंघराला बाल प्रभु के, फूलल बा गाल हो
बचपन सोहाला प्रभु के, मुर्ति कमाल हो
देखिके जुड़ाए लोगवा, मोहक मुस्कनियां हो।
धाये-धाये आवंइ लोगवां, दर्शन के असिया हो।।

प्रान प्रतिष्ठा भइला के बाद भीड़ के तुफान टूट पड़ल बिया अयोध्या में। अयोध्या नगरी सजी संवरी सी दिख रहल बिया। अगर बात मूर्ति के कइल जाव तऽ एतना विशेषता ह्ऽ कि गिनती कइल भारी हो जाई। प्रभु श्री राम के नाम ही काफी होला कइसहूं काम खातिर। मन आपन रस्ता खुदै तलाश लेवेला अउर ऊ रस्ता जवन विश्वास पे होखला के बाद बनेला महानतम् रस्ता होवेला। मूर्तिकार अरुण योगिराज के काम भी कुछ अइसहीं हऽ जहां प्रभु पऽ विश्वास कइला के बाद उनुकर काम शुरू भइल् अउर जेकर् प्रभाव आज सकल् जहान् देखि रहल बिया। अरुण योगिराज के काफी खुशी भइल रहे होखी जब् कि ओनकरे नाम् के चयन भइल रहे होखे बाकिर जिम्मेदारी मिलला के बाद उनकरा के समझ में आइल रहे होखे कि अब काऽ कइल जाव। एक अइसन काम जवना पऽ पूरे जहान के नजर होखी, के कइसन बनावल जाव कि हर परिक्षा पे खरा उतरला के मौका मिल सके बाकिर ई सांच बा कि अच्छे-अच्छे लोगन के दिमाग चकरिया जालेन सन। इंहूं कुछ अइसने बात जरूर भइल होखी बाकिर मूर्तिकार अपना के प्रभु श्री राम के विश्वास पऽ छोड़ला के बाद काम शुरू कइलेन आऽ परिणाम सभके सोझा बिया।

मूर्ति के सभन अंग के गढ़े खातिर मूर्तिकार अरुण योगिराज के कइयो ठो शिल्पशास्त्रन के अध्ययन करे के पड़ल ताकि बालक राम के आंख, कान, नाक, होंठ, गाल, हाथ, गोड़ सब के एकदम सही रूप दिहल जा सकै। प्रभु श्री राम के मूर्ति गढला के पूर्व योगिराज के आसपास के गदेलन के साथे खूब समय बितावै के पड़ल ताकि मूर्ति में बचपना के अच्छे से दर्शावल जा सकै‌। भव्य अउरी भरल-पुरल गाल, चमकत् बड़हर-बड़हर आंखि, करीने से सजावल गइल नाक, मोहक मुस्कान लिहल होंठ, एकदम सही अनुपात में बनल गर्दन आ कोमल-कोमल अंगुरी कुलि मिलाके भव्यता के दर्शन हो रहल बिया। करियवा पाथर से बनल मूर्ति प्रभु के श्याम रंग के करीब तऽ हइये हऽ साथ में इहौ बात हऽ कि करियवा पाथर खराब ना होला।

प्रभु श्रीराम के बालक वाली मूर्ति में ओम्, स्वास्तिक, सूर्य के साथे ही ओनकरे दस अवतारन के उकेरल गइल बा। दहिने ओरी भक्त हनुमान तऽ बांये ओरी गरुण भी बनल बाटेन्। घुंघराला बाल, दिव्य स्वरुप एकदम व्यवस्थित उत्तरीय, धनुष-बाण धारण कइला के साथ ही आशीर्वाद देतऽ हाथ। सगरी दुनिया के कल्याण के बात करीला। माथे पर के लम्बा लगल टीका संसार में ओजरार के परिचायक हऽ। तन पर सजल गहना आ माथे पर कऽ मुकुट युवराज के पूरा परिचय दे रहल बिया।

प्रभु के ई मूर्ति गढ़ला के बाद ई कहल जा सकेला कि मूर्तिकार योगिराज के जिनगी तरि गइल, जीवन सफल हो गइल। मूर्ति स्थापित भइला के बाद मूर्ति के पीछे वाला भाग एतना खिलि रहल बिया कि कवनउ बखानै ना किहल जा सके। फूल-पत्ती के नक्काशी से तैयार पृष्ठभूमि भी मूर्ति के पूरा सहयोग कइ रहल बिया। स्थापना के बाद मूर्ति में आइल बदलाव भगवान के ओहमा प्रवेश के दर्शावत हौ। मूर्ति में भगवान के प्रवेश के बाद तऽ मूर्ति की भव्यता आसमान पऽ हऽ। धन्य होई ऊ जे भगवान के दर्शन साक्षात् करी। लोगन से निहोरा बा जल्दी जाईं आ अपने भगवान के दर्शन करीं। खुशनसीब हंईं जा हम लोगन जे एंह भव्य समय में धरती पर हंईं आ ई मौका मिलल बाकि एकरा पीछे जेकर-जेकर भी संघर्ष बा ओकरा के भी बार-बार सीस नवावथई‌।
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पंकज तिवारी
कवि, चित्रकार, कला समीक्षक एवं संपादक बखार कला पत्रिका
नई दिल्ली
9264903459
मैना: वर्ष - 10 अंक - 121 (जनवरी 2024)

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