चाय-कॉफी - पूजा बहार

दरवाजे के घंटी बाजल दरवाजा खुलल त पाहुन अन्दर अईलन। अभी एक दुसरा से हाल..चाल पूछे के नैतिकता चलते रहे कि बीचे में ही शर्मा जी आपन मेहरी के आवाज लगइलन अजी सुनतरू वर्मा जी आइलन बानी तनी चाय बिस्कुट ते इंतिज़ाम कर द।तनिये देर में चाय के ट्रेय में गरमागरम लबालबा भरल चाय ने सबके धियान आपन और आकर्षित कर लेहलस अउरी बेकारार चाय छलक के मुसकुरा के आपन मेहमान के सुवागत कइहलश। शर्मा जी मुस्कुरा के कप के चाय आगे बढ़ाईलन त वर्मा जी ने चरनी मुस्की 
दर्शाते हुए समकुचाते हुए कहलन नही सरकार भोरे से चार कप पेट के गोदाम में डाल चुकल बानी । अब अउर नाही ।शर्मा जी दोस्ताना अंदाज़ में कहलन अरे वर्मा जी एक कप हमरो साथ हो जाए !राउर भौजाई रउरा खाति स्पेशल अदरक..इलायची कूंट के चाय में डलले बाडी रउरा अइसे ही मना ना करी जी।आखिरकार शर्मा जी ने अापन चहिते दोस्त के बात मान ले लन अउर अनमना ढंग से चाय के पियाली पकड़ के पिये लागलन अउर पकड़ते भी त काहे ना इ चाय चीज़े अइसन बा ।सुबह उठी त पलंगड़ी पे बेड टी ,नाश्ता पानी के बाद अगर चाय ना पिहनि त दिन के शुरुवात आधा अधुरा अउर बुझल..बुझल लागेला ।अगर हाथ में पेपर होखे आ बीच-बीच में चाय के चुस्की होखे त मजा आ जाला । मने कि चाय के चुस्की के बिना ना त टी.बी के प्रोग्राम देखे में रोमांच आला अउर ना ही कुछ पढ़े में धियान केंद्रित होखेला ।अगर घर में मेहमान आयेल अउरी दुनिया भर के वैरायटी खिलइनी पिलइनी पर चाय ना पिलइनी त असमाजिक होखे के रउरा पर लेबलो चिपक सकेला ।खाना खाए के बाद ,काम में मन लगाए खाति या काम करते करते थकावट उतारे खाति ,या कोनो किसीम के परेशानी से टेंशन के परेशान होखी त बस एक कप चाय मिल जाए त फ़िर का कहे के ! अगर हम साफ़ अउरी साधारण भाषा में कहे के चाही त जेतना बार हम पानी के अमृत ग्लास दिन भर में ना पकड़त होखेम ओकरा से बेसी विषैला कप से भरल चाय के घुन्ट गला से नीचे गटकाउत होखेम । 
कुछ लोग त अापन कब्ज से परेशान होकर सुबह..सुबह मोशन आवे खाति चाय के रामबाण समझेलन पर इ हमार बहुते बड़का गलतफ़हमी ह । काहे से कि ई मोशन चाय के वज़ह से ना चाय के गरम पानी की वज़ह से होखेला । 
जब तक हमनी के चाय, कॉफी के चुस्की लिहिला तबे तक हमनी के अपना के उत्तेजित अउर एनर्जी से अपना के भरपूर महसुस करिला ।पर ,लेकिन ,किंतु ,परन्तु जबतक पियला पर पियाला हमनी के पीते रहिला तभे तक हमनी के धियान काम में लगा रहेला ई हमनी के मुर्खतापूर्ण गलत अवधारणा बना रखेले बानी के चाय पीए से हमनी के एनर्जी पावर बढ़ेला ।हमनी के पूरान शक्ति के क्षणिक भर के खाति उत्तेजित हो जला त हमनी के लागेला कि चाय पीएं से जोश ताकत और स्फूर्ति पैदा होखेला । 

चाय में दूगो पदार्थ (1)टेनिन और (2)कहवाइन विषैले पदार्थ मुख्यतः पावे जाला।चाय पीते समय हम सभनी के ऐगो कसावहट भरल सुवाद महसुस भइल होइ उहे टेनिन होला । 
वैसे त चाय के सेवन हमनी के स्वास्थ के प्रति अनगिनत दुष्प्रभाव पइदा करेला । 
सर्वप्रथम चाय कॉफी पीए से पाचनशक्ति के हनन होखेला।गैस ,खट्टी ड्खार ,भूख ना लगना अपच ,बदहज़मी अउर भी बहुते सारी व्याधियां अग्रसित करे में चाय के बहुत बडका योगदान होला ।भले ही चाय क्षण भर के लिए जोश भर देला पर कुछ पल खातिर उत्तेजित कर देवेला पर अगले ही पल हमनी के निर्बलता अउरी कमजोरी महसुस होखे लागेला । 
हमनी के एक अउर गलत भ्रान्ति पालले बानी कि चाय पीए से सिर के दर्द ठीक हो जाता है पर वास्तविकता इ बिल्कुल ना ह । 
अगर हमनी के सही तरीका से देखी अउरी ऐ पर मंथन करी त ह पाएम कि चाय और विभिन्न नशीली पदार्थों में एकदमे एक ही समानता होला । इ भी अन्य नशीली पदार्थों के जइसन सुवास्थ अउर जीवन दोनो के खाति हानिकारक होला ।एक बेर अगर हमनी के शरीर के अगर एकर आदत लग गएल अउरी समय..समय पर हमनी के पियाला पर पियाला ना गटकइनी त सिर में दर्द ,थकान ,अंग भारी..भारी लागेला अउरी साथ..साथ चाय के नही पी पावे के कारण हमनी के कोनो कार्य में मन नही लागेला त हमनी के लागेला चाय तन अउर मन के खाति औषधी ह । 
अगर हम गौरतलब देखी त शराब या ड्रग्स और चाय एक ही प्रकार का धीमी गति से मारे वाला एगो सस्ता अउरी दुसरका महँगा ज़हर है ।शराब पी के हमनी के लागेला के ग़म भुल के सुता देला पर चाय ठीक विपरीत हमनी के निन्द्र के हरलेवेला।यदि चाय में कहवाइन का अंश ज्यादा होई त मन मिचलाने लगी,चक्कर आवे लगी अउर कबो..कबो मनुष्य बेहोश भी होला।अधिक तेज काली काली विष से भरल चाय पीएं से इंसान मर भी सकेला ।हमनी भारत देश के नामी डॉक्टर आदरणीय गोपाल भास्कर जी कहेलन कि हमनी के ज्ञान इंद्रियों पर चाय जइसन विष के बहुत हानिकारक प्रभाव पड़ेला ।लकवा ,बहरापन जइसन जीवन के नरक बनावे वाला रोग भी हो सकेला ।इ विष के लगातार सेवन से गठिया आदि वात रोगॊ हमनी के शरीर के धर सकेला । 
चाय ,कॉफी का सेवन ठंडा मुल्क आ ठंडा जगह के लोग सेवन करेलन त समझ में आवेला पर हमनी के देश के जलवायु गरम बा इहाँ पे चाय के एतना माँग अउर लोकप्रियता हमर समझ से परे बा।चाय पीना और पिलाना इ हमनी के देश के ना त सभ्यता ह ना ही संस्कृति अउर ना ही हमनी के देश के प्रचलन ।चाय त विदेशी चोचला ह अँगरेजन भारत क त आज़ाद कर देहलख पर जाते..जाते चाय के झुनझुना थमा देहलख । चाय के पौधा के उत्पन्न भारत में पहली बेर सन् 1834 में अंग्रेज सरकार के द्वारा व्यापारिक पैमाने पर करल गइल रहल। 
सन् 1350 में चाय पीए के परम्परा के पहिला उल्लेख मिलेला ।सन् 1610 में डच व्यापारी चीन से चाय युरोप ले गइल अउर व्यापार के लिए धीरे..धीरे एेकर लोकप्रियता सारी दुनिया में छा गइल ।बड़ा ही रोचक तथ्य इहो बा कि 
विश्व में चाय के उत्पादन में भारत के पहिला स्थान बा।विश्व उत्पादन के 27% और विश्व में निर्यात के 11% भारत से प्राप्त होखेला । 
जाने कइसे अउर कब इ सब देश के जइसन हमनी के भारत देश के 
सबसे मनपसंदीदा पेय बन गइल ।आज़ु हमनी के समाज में ई एतना लोकप्रिय हो गइल बा कि एकरा कद सब उमिर सब तबका के लोग बच्चा होखे चाहे बुढावा , मेहरारू होखे के मर्दाना ,गरीब होखे के अमीर सबे एकरा के अत्याधिक पसंद करेला । 
आज़ के मॉडर्न सभ्य समाज के 
मनपसंदीदा मादक पेय हमनी के जीवन पर इतना हावी बा कि चाय अउर कॉफी पीना अउरी पिलाना औपचारिकता समझल जाला । लगभग हम सभी के एकर स्वास्थ से जुड़ल हानि के बारे में पता बा फिर भी जाने काहे हमनी ते जानते हुए भी इ मीठी अउरी धीमी गति से मारे वाला विषपान के अापन जीवन के अमृतपान समझिला अउर अपने बहुमूल्यवान जीवन के साथ खेलवाड.करिला ??????? 
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लेखक परिचय:-
नाम: पूजा गुप्ता
गृहणी, कवयत्री, रेडियो जाकी, एंकर
नेपाल
मो: 0977-9807018946
फेसबुक: https://www.facebook.com/pujaguptacpr





मैना: वर्ष - 7 अंक - 118-119 (अप्रैल - सितम्बर 2020)

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