भोजपुरी ग़ज़ल - संदीप राज़ आंनद

1.

दिल में दबल उ बात मुंहे पS आ गइल। 
छुपल रहे जे आज ले काहे कहा गइल। 

कहत रहे, हमरा बगैर जे जी न पाई उ 
अचके में काहे आज, सब कुछ भूला गइल। 

हमरे ही नाम लेके जे जागत सुतत रहें 
देखलस आज हमके तS, जर-बुता गइल। 

जीए के जे आधार रहे हमरा जिनगी के 
ओही चलते आज ई जिनगी छीटा गइल। 

'आनंद' हम कहल नाहीं चाहत रहनी कुछउं 
ई जग के रीत हS, जवन ग़ज़लें में आ गइल। 
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2.

हमरा नामे से उनके बोलावल गइल। 
प्यार में कइसन सजा ई सुनावल गइल। 

फोन प कहली कि उनके भुला जाइ हम 
सब भुलईनी पर उनके ना भुलावल गइल। 

जे मोहब्बत में डूबे के कोसिस कइल 
उनके पागल आवारा बतावल गइल। 

उ तS जियता, लेकिन ओके मरले बुझीं 
जेकरे जवान बेटी के घर से भगावल गइल। 

अब तS उहो सिखावे केहू का बोली कही 
जेकरा तोता नीयन सब रतावल गइल। 

आनन्द हो! जिनिगी के हमरे इहे फलसफा 
हाथ धइनि तS, कबो ना छोड़ावल गइल। 
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3.

इहां हर केहू, हर बात के, छुपावत बाटे। 
कहां खोलिके केहू कुछ बतावत बाटे। 

इहवां केहू ना, प्रीत के मरम समझत बा 
सभे हंसिके इहवां उधुवां उठावत बाटे। 

ई देहिं एक दिन सबकर माटी हो जाई 
सभे जानत बा तबों रोज सजावत बाटे। 

जिनिगी तS एगो खेल हS, सरकस हS 
उपर उ बा केहू जे सबके नचावत बाटे। 

'आनन्द' के दिल आज भी चोटाइल बा 
तबों देखS, हंसिं के ग़ज़ल सुनावत बाटे। 
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4.

केहू से बात कइल भा मिलल निमन लागेला। 
जइसे फूल गुलाब के खिलल निमन लागेला। 

पिज़ा बर्गर चाऊ माउ के,एह नया जमाना में 
हमके रोटी तावा के फूलल निमन लागेला। 

जेकर सईया हरदम ओकरा आँखि से दूर रहें 
ओके बात मिलन के भूलल निमन लागेला। 

संघर्ष से अपना लक्ष्य लगे, जेके जाये के बा 
ओके हर मुश्किल से जुझल निमन लागेला। 

आनंद तS गावे के हवे, उ गउए के बात करीहे 
उनके तS फूल-पतई के हिलल निमन लागेला। 
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5.

आज फिर से याद आइल बा सखी
कान के कुछ तS सुनाइल बा सखी।

बात नइखे जे भइल कवनो इहाँ
मुँह फिर काहे झुराइल बा सखी।

हम जे कहले रहनी तहरा से कबो
आज उनका ई बुझाइल बा सखी।

जान देवे के रहल वादा जेकर
आज अदमी उ चिन्हाइल बा सखी।

'आनन्द' अब ना करबि हम प्यार फिर
देखि लS दिल ई घवाइल बा सखी।
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6.

कहाँ हमसे कुछऊ बतावल गइल बा
सही बात हरदम छुपावल गइल बा।

मोहब्बत के नागिन गइलि काटी के जब
जहर देके हमके जियावल गइल बा।

जवन आग सीना के भीतर लगेला
उ पानी से कहवाँ बुतावल गइल बा।

कहेके सुनेके न तनिको पता बा
इहे लूर तहके सिखावल गइल बा।

सभे लोग पागल भइल बा अनेरे
कहीं फिर से दारू लुटावल गइल बा।

ग़ज़ल गीत गावल कहाँ खेल हउवे
करेजा के एमन जरावल गइल बा।
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7.

प्यार में हद से बढ़ल अब,बेकार बा
दिल प नाम लिखल यार के,बेकार बा।

सब भरम बा केहू अलग होके रोई
ओह पर तोके आस बा, बेकार बा।

घर बइठी के सब कुछ मिली अब तहके
एतनो अब ज्यादा सोचल,बेकार बा।

सब कोई खुश बा देस में,हम ना मानी
आप से तS बातें कइल,बेकार बा।

देखS अब तक 'आनन्द' देहाती ही बा
एके सुधरे के कहल ही,बेकार बा।
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8.

उ जे आँख में आंसू के पानी राखे।
कमे लोग मोहब्बत के निशानी राखे।

ओकर गइल कवनो बड़ा बात नइखे
सभे कब दिल में प्यार के रवानी राखे।

जियल जे जिनगी दूसरा के खाति हरदम
कहाँ केहू याद उनकर कहानी राखे।

दुनिया भर के जे हसावे उ अदमी
दर्द आपन उ खुद के जुबानी राखे।

सभे बा बहुत तेज ई बात मानीं
इहाँ हर कोई तेवर तूफानी राखे।
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लेखक परिचय:-
संक्षिप्त परिचय-छात्र,स्नातक (हिन्दी साहित्य) इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय
प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)
सम्पर्कसूत्र-7054696346
ग्राम-अहिरौली,पोस्ट-खड्डा
जनपद-कुशीनगर(उत्तरप्रदेश)



मैना: वर्ष - 7 अंक - 118-119 (अप्रैल - सितम्बर 2020)

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