बेदना बन के पसरल बा नयनवा में - विद्या शंकर विद्यार्थी

बेदना बनके पसरल बा नयनवा में।
लौटी आवेला दरदिया अएनवा में॥

सालेला इयदिया त जिया अकुताला
लोरवा के बुनवा ढरकियो ना जाला
चिहुकी जाला हमार मनवा सपनवा में।
बेदना बनके...…॥

मोतिया के माला कवने हुलसे पिरोईं
मिलल खुशिया के बिटोरीं कि खोईं
अगिया बोझी गइल जइसे अरमनवा में।
बेदना बनके...…॥

तितिल के गंध के डहुँगियो ना भेंटल
सहजे जिनिगिया के सधवा समेटल
भइल कुहूँके दिन रात जीवनवा में।
बेदना बनके...…॥
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लेखक परिचयः
नाम: विद्या शंकर विद्यार्थी
C/o डॉ नंद किशोर तिवारी
निराला साहित्य मंदिर बिजली शहीद
सासाराम जिला रोहतास (सासाराम )
बिहार - 221115
मो. न.: 7488674912

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