सावन - गुलरेज शहजाद

"बदरी के बदरा पिठियवलस"
श्याम रंग में मौसम गावे
आसमान के खोंखी उखड़ल
लागल बरसे झमझम बूनी
लागे जइसे छमछम करत
गोरिया अइली
जंगला धइले देखs तानीं
आई हो दादा
आहा हा हा ....

पड़ल जे छिंटका बूनी के
मुंह पर लागल
अमरित गिरल
पपनी पर पपनी सटियाइल
सिहक गइल देहिया,भितरी
गुद्गुद्दी उपिटल

फुहियाता ई बूनी खाली
बहरे नाहीं
हमरो भीतर
बून-बून के झांझर बाजे
एह लय में आ ताल में हमरो
मन के माटी भींज गइल बा
बाहर भीतर सभे गीले गील भइल बा
.....................................................
लेखक परिचय:-
नाम - गुलरेज शहजाद
कवि एवं लेखक
चंपारण (बिहार)
E-mail:- gulrez300@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.