उठि सूती पूछे मन, एगो हमसे बतिया
काहे खाती दिन बावे, काँहे खाती रतिया॥
रोज भिंसहरे काँहे, किरिन सूरुजवा
अउरी अन्हियारा, काँहे रोजे-रोजे रतिया॥
काँहे लोग मिलेला, अउरी जाला कहवाँ
फेर गीतिया सुनावेला, हमके दिन-रतिया॥
इहे साँच बावे कि, हम नाही केहू हवीं
फेर काँहे सुनेनी, हम तोहार बतिया॥
------------------------------------------------------
काहे खाती दिन बावे, काँहे खाती रतिया॥
रोज भिंसहरे काँहे, किरिन सूरुजवा
अउरी अन्हियारा, काँहे रोजे-रोजे रतिया॥
काँहे लोग मिलेला, अउरी जाला कहवाँ
फेर गीतिया सुनावेला, हमके दिन-रतिया॥
इहे साँच बावे कि, हम नाही केहू हवीं
फेर काँहे सुनेनी, हम तोहार बतिया॥
------------------------------------------------------
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgR8quN6jBqTykKYoONixE7xDl5y1wzaWn2pUt9FwlPhDmldL03wCfS6wsp2r0IpVWa_eUoieDAr_QulXwotY6xiIYMotUF51HSn96yzGPDHklfInDILWufQeLe3uUTe9CIaX4iaFPhq4k/s200/rajeev.jpg)
नाम: राजीव उपाध्याय
पता: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश
लेखन: साहित्य (कविता व कहानी) एवं अर्थशास्त्र
संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in
दूरभाष संख्या: 9650214326
फेसबुक: https://www.facebook.com/rajeevpens
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें