देखनी - सुरेश कांटक

लोकतंत्र में राजा देखनी
बोले ओकर जनाजा देखनी।

मारे खूब रोवै ना देवै
ओकरे बाजत बाजा देखनी।

भवह बोले ना भसुर छोड़े
खुलि के मारत माजा देखनी।

देलें भासन अउर ना कुछो
बाकिर जोर तकाजा देखनी।

कांटक का नीमन का बाउर
कहे कि सभ ह ताजा देखनी।
-------------------------------------------------
लेखक परिचयः-
नाम: सुरेश कांटक
ग्राम-पोस्ट: कांट
भाया: ब्रह्मपुर
जिला: बक्सर
बिहार - ८०२११२

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.