ऐ भाई! तनी दिहीं बताई,
इ रास्ता कँहवा तक जाई?
बिना मंजिल के कछु पवले ज्ञान
हम कईसे के कुछ करीं बखान।
पहिले आपन दीं मंजिल बताईं
जहाँ तक चाहब उहँवे तक जाई।
ऐ भाई!तनीए सा दीं आउर बताई।
कहां से आवता, ई कहाँ तक जाई?
रउओ त कईनी अजबे बात
बिना जनले ध देहनी लात
चलिए दिहनी त चलते जाईं
जहँवा जाएकेबा उहंवे जाई।
ना मंजिल ना रास्ता के ज्ञान
अच्छा बुरा के नईखे पहचान
अईसन में अब हम का करीं?
ईंहवा से कवन रास्ता धरीं?
भेजले बा ओकर चेहरा देखत
बड़हन लोगन के डेग निरेखत
रहिया देखत चलते चल जाईं
अपने राउर मंजिल मिल जाई।
--------------------------------
इ रास्ता कँहवा तक जाई?
बिना मंजिल के कछु पवले ज्ञान
हम कईसे के कुछ करीं बखान।
पहिले आपन दीं मंजिल बताईं
जहाँ तक चाहब उहँवे तक जाई।
ऐ भाई!तनीए सा दीं आउर बताई।
कहां से आवता, ई कहाँ तक जाई?
रउओ त कईनी अजबे बात
बिना जनले ध देहनी लात
चलिए दिहनी त चलते जाईं
जहँवा जाएकेबा उहंवे जाई।
ना मंजिल ना रास्ता के ज्ञान
अच्छा बुरा के नईखे पहचान
अईसन में अब हम का करीं?
ईंहवा से कवन रास्ता धरीं?
भेजले बा ओकर चेहरा देखत
बड़हन लोगन के डेग निरेखत
रहिया देखत चलते चल जाईं
अपने राउर मंजिल मिल जाई।
--------------------------------
लेखक परिचय:-
नाम: नवीन कुमार पाण्डेयग्राम-पो.: जयसिंहपुर, तुरकौलिया,
पुर्वी चम्पारण, बिहार
बेवसाय: माध्यमिक शिक्षक,
उच्च विद्यालय जयसिंहपुर
अंक - 113 (03 जनवरी 2017)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें