सवारी - राजीव उपाध्याय

काहे खाती कइले बाड़ऽ अइसन सवारी
तोहरे के जोतले बावे देता तोहरे के गारी॥

करेला नीमन-नीमन कई गुन बतिया
जातो कहीं नइखे अउरी छूटल महतारी॥

तर उपर धाका मुक्की बावे ताना-तानी
बस हमहीं ठीक बानी लागल एगही बेमारी॥

केहू अन्न खा के गन-गन हो जाता
केहू काटे ला जिनगी कई के हरवाही॥
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लेखक परिचय:-

नाम: राजीव उपाध्याय
पता: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश
लेखन: साहित्य (कविता व कहानी) एवं अर्थशास्त्र
संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in
दूरभाष संख्या: 7503628659
ब्लाग: http://www.swayamshunya.in/
फेसबुक: https://www.facebook.com/rajeevpens
अंक - 89 (19 जुलाई 2016)

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