का खोजऽ तारऽ? - राजीव उपाध्याय

धोती अउरी अँगौछी ले के
घाट-घाट का खोजऽ तारऽ?
पियरी का सगरी लाल हो जाई
जेकरा के जे तू खोजऽ तारऽ?

माटी हऽ ई माटी नियर रही
जामी फरी फेर जरी जाई
इहे एकर सगरी उधापन
कि फरत जाओ बहत जाओ
जाके डहरी सटत जाओ
का इहे तूहूँ चाहऽ तारऽ?

केतनो तू दंवरी करऽ
चाहें इनारे ढ़ेकूल चढ़ावऽ
लगुसी से बादर खोदऽ
भा पोखरा तू खोनवावऽ
भरि अंजूरी बस पानी चढ़ि
का एतता तू जानऽ तारऽ?
---------------------------------

लेखक परिचय:-

पता: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश
लेखन: साहित्य (कविता व कहानी) एवं अर्थशास्त्र
संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in
दूरभाष संख्या: 7503628659
ब्लाग: http://www.swayamshunya.in/
अंक - 82 (31 मई 2016)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.