होली में हूड़दंग - अभिषेक यादव

होली में हूड़दंग करे
आईल पछिम टोला,
केहू पियले दारू बा
केहू खइले गोला।

नशा के ख़ुमारी में
गउज-माउज होला,
केहू बनल बानर-बनरी
केहू बनल बा भोला।

शंकर जी के बारात ह
सभकर चलऽता लोला,
चेथरू दाँत चियारेले
फाड़ के आपन चोला।

बासमती शबनम अस
गंधारी जी शोला,
हूरुका के ताल पऽ
झूमेले बनी के सपोला।

पिचुकारी मे मोबील भरीे
गोबर डलले झोला,
कुकूर-बिलार के गर धराईल
भगले बीछी-ढ़ोला।

सघरी गाँव जमात बटे
खाझा के झपोला,
जी ललचावत मन भरमावत
गोझियी पुड़ी छोला।

न केहू बैरी न केहू दूशमन
सभे बा हमजोला जी,
मस्त-निराला गाँव हऽ ऊ
जहाँ अईसन होली होला जी।
------------------------------
अभिषेक यादव











अंक - 72 (22 मार्च 2016)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.