हम चिरैया बन के उड़े चाहेनी
हम बहत हवा के मोड़े चाहेनी
हम बरखा के बूँद से जलमहल बनावे चाहेनी
हम बर्फ के गोला से पहाड़ बनावे चाहेनी
हम दरियाव के लहर के मुट्ठी में भरे चाहेनी
हम खेतन में हरियाली लेआवे चाहेनी
हम तालिबानी फ़रमान के खिलाफ आवाज़ उठावे चाहेनी
हम अमरीकी दादागिरी प रोक लगावे चाहेनी
हम आपन क़दम के आज़ाद रखे चाहेनी
हम दुनिया के सोच बदले चाहेनी
हम आपन पापा की बिटिया बन के जिए चाहेनी
----------------------------------------
- राकेश
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें