संइचल सनेह क डोर
अचके मे अझुराइल
बासन के खनके क
आवाज लेखा
बिला गइल।
सुनेपन से अटाइल
बाकस बाकस हेरत
बिटिया क लिखल पाती
मनईन के सनक
इयाद परा गइल।
अन्हरिया राती में
रूह कंपावे वाली
घटनओ बुझाता
संसद के गलियार में
साँचो पिचा गइल।
आंखिन से झरत लोर
बोझ नीयन जिनगी
बेखबर बइठल
एक दूसरा पर कनई बीगत
अघा गइल।
गंवई वाला अंदाज
वइसही चर्चित भइल
सूत्रधार क चरित्तर
नजर क खोट
सच सीखा गइल।
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लेखक परिचय:-
नाम: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
मैनेजिग एडिटर (वेव) भोजपुरी पंचायत
बेवसाय: इंजीनियरिंग स्नातक कम्पुटर व्यापार मे सेवा
संपर्क सूत्र:
सी-39 ,सेक्टर – 3
चिरंजीव विहार, गाजियावाद (उ. प्र.)
फोन : 9999614657
अंक - 65 (2 फरवरी 2016)
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