राम भजन करु भाई, दिनवा बीतल हो जाई।। टेक।।
साव किहाँ दरब ले आएलो, सूद पर देली लगाई,
सूदवा हान भेल एहि जग में, घरहुँ के मूढ़ गँवाई।। 1।।
अएतन साहो कहब कछु काहो, रहबौ मन सकुचाई
त्राहि त्राहि कहि गिरबों चरन पर, पत रखिहैं रघुराई ।। 2।।
राम भजे से सब बन जाई, निरधनिया धन खाई
कहे तोले सुन गिरधर योगी, दिन बीतल हो जाई ।। 3।।
साव किहाँ दरब ले आएलो, सूद पर देली लगाई,
सूदवा हान भेल एहि जग में, घरहुँ के मूढ़ गँवाई।। 1।।
अएतन साहो कहब कछु काहो, रहबौ मन सकुचाई
त्राहि त्राहि कहि गिरबों चरन पर, पत रखिहैं रघुराई ।। 2।।
राम भजे से सब बन जाई, निरधनिया धन खाई
कहे तोले सुन गिरधर योगी, दिन बीतल हो जाई ।। 3।।
--------------संत ताले राम
अंक - 49 (13 अक्टूबर 2015)
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