बाड़ी मोरी अबही उमरिया
आ विधाता दिनवा धई दिहलें ऐ राम...
सजना सेयान हम नदान,
त कइसे के गवनमां जाइब ऐ राम...
बाबा मोरा अइसन निरमोहिया
न मन में विचरवा कइले ऐ राम...
माई मोरा हिया के कठोर
त घरवा से निकाली दिहली ऐ राम...
नइहर में कुछउ न सिखलीं
पिया के घर का करब ऐ राम...
कुसुम रंग पेन्हली चुनरिया
त लाल रंग चादर मिलल ऐ राम...
डोलिया में हमके बिठाई के
कहार चार लागी गइले ऐ राम...
सुसुकि-सुसुकि माई रोवेली
त सखी फुका फारी रोवे ऐ राम
धनी अब भइली ससुरइतीन
लउटी फिर न आइब ऐ राम...
दास ऐ कबीर, निर्गुण गावेलन
गाके समझावेले ऐ राम...
आ विधाता दिनवा धई दिहलें ऐ राम...
सजना सेयान हम नदान,
त कइसे के गवनमां जाइब ऐ राम...
बाबा मोरा अइसन निरमोहिया
न मन में विचरवा कइले ऐ राम...
माई मोरा हिया के कठोर
त घरवा से निकाली दिहली ऐ राम...
नइहर में कुछउ न सिखलीं
पिया के घर का करब ऐ राम...
कुसुम रंग पेन्हली चुनरिया
त लाल रंग चादर मिलल ऐ राम...
डोलिया में हमके बिठाई के
कहार चार लागी गइले ऐ राम...
सुसुकि-सुसुकि माई रोवेली
त सखी फुका फारी रोवे ऐ राम
धनी अब भइली ससुरइतीन
लउटी फिर न आइब ऐ राम...
दास ऐ कबीर, निर्गुण गावेलन
गाके समझावेले ऐ राम...
अंक - 48 (6 अक्टूबर 2015)
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