काश हम तोहरा दिल में ना आईल रहतीं
दूर रहके भी तोहरा दिल में छाईल रहतीं
डूबल रहतीं तोहरे ख्याल में दिन भर
नेहिया लुटवती ई मुस्की प जी भर
आह भर लेतीं पलक जे झुक जाईत
नजर के फिरते ही साँस रुक जाईत
दूर के ढोल नीयर आँखि के भाईल रहतीं
काश हम तोहरा दिल में ना आईल रहतीं
दूर रहके भी तोहरा दिल में छाईल रहतीं
डूबल रहतीं तोहरे ख्याल में दिन भर
नेहिया लुटवती ई मुस्की प जी भर
आह भर लेतीं पलक जे झुक जाईत
नजर के फिरते ही साँस रुक जाईत
दूर के ढोल नीयर आँखि के भाईल रहतीं
काश हम तोहरा दिल में ना आईल रहतीं
---------------------अभय कृष्ण त्रिपाठी "विष्णु"
अंक - 44 (8 सितम्बर 2015)
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