भव सागर गुरु कठिन अगम हो
कौन विधि उतरब पार हो
असी कोस रुन्हें बन काँटा
असी कोस अन्हार हो
असी कोस बहे नदी बैतरनी
लहर उठेला धुंधकार हो
नइहर रहलों पिता संग
भुकुरी नाहिं मातु धुमिलाना हो
खात खेलत सुधि भूलि गइली
कौन विधि उतरब पार हो
असी कोस रुन्हें बन काँटा
असी कोस अन्हार हो
असी कोस बहे नदी बैतरनी
लहर उठेला धुंधकार हो
नइहर रहलों पिता संग
भुकुरी नाहिं मातु धुमिलाना हो
खात खेलत सुधि भूलि गइली
सजनी से फल आगे पाया हो
खाल पकड़ि जम भूसा भरिहें
बढ़ई चीरे जइसे आरा हो
अबकी बार गुरु पार उतारऽ
अतने बाटे निहोरा हो
खाल पकड़ि जम भूसा भरिहें
बढ़ई चीरे जइसे आरा हो
अबकी बार गुरु पार उतारऽ
अतने बाटे निहोरा हो
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लेखक परिचय:-
नाम: परमहंस शिवनारायण स्वामी
जनम - 1750
जनम स्थान - चन्द्रवार, बलिया, उत्तर प्रदेश
जनम - 1750
जनम स्थान - चन्द्रवार, बलिया, उत्तर प्रदेश
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