संपादकीय: अंक - 34 (30 जून 2015)

केवनो समाज में ओकरा नेतृत्व कऽ बहुत बड़हन महता होला। ई नेतृत्व होला जेवन समाज के जरुरत के बुझि के सही दिसा देबे के कोसिस करेला। बलुक ना खाली कोसिस करेला बाकिर ओके सही दिसा में ले के जईबो करेला। एहे केवनो नेतृत्व के उमीद राखल जाला।
अगर मानवता के इतिहास पर नजर डालल जाओ तऽ ई साफ-साफ लऊकी कि हर देस औरी काल में हर समाज के अईसन बेरा से हो के गुजरे के परल बा जब पुरा के पुरा समाज निरासा में डुब जाल। ओ बेरा ओके केवनो ओर से केवनो आसा के किरन ना नजर आवे ला औरी ऊ आपन सगरी आसा-टिसुना मारि के सभ कुछ उपर वाला के भरोसे छोड़ देला। ई ऊ वकत होला जब आदमी के अपनी उपर से से भरोसा कम होखे लागेला औरी ओकरा अपनी हाथो पऽ भरोसा ना रहि जाला। अईसन बेरा केवनो देस औरी समाज खाती बड़ा नोकसान करे वाला होला। ओ बेरा जदि केवनो सही आदमी आगे बढ़ि के रसता ना देखावे तऽ सगरी के सगरी समाज हाथ-गोड़ तुरि के बईठ जाला भा केवनो गलती आदमी के पीछे-पीछे एतना दूर ले चलि जाला कि ओ समाज के पुरा कऽ पुरा पहचाने बदल जाला औरी ओकरा खाती लवटे के विकल्प हमेसा-हमेसा खाती बन हो जाला। 
लेकिन आदमी के सभसे बड़ खासियत ई बा कि भले समाज हाथ-गोड़ तुरि के बईठ जाओ ऊ ना बईठे ला। हमेसा कोसिस करेला कि कईसे कुछ निमन हो जाए भले अईसन लोगन बहुत कम होला लेकिन ईहे लोग आवे आला काल्ह के बदल के रखि देला औरी हर समाज हर काल में एतना भागसाली हमेसा से रहल बा औरी रही कि ओके कुछ अईसने ना हार माने वाला लोग मिलल बा औरी मिलत रही।
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भरसटाचार हमेसा सोझा-साझी लऊके औरी नोकसान करे वाला ना होला। कुछ अईसनो भरसटाचार होला जेवना ना कबो लऊके ला औरी केवनो नोकसान होला। नैतिक भरसटाचार कुछ अईसने होला औरी दुर्भाग से राजनीति में नैतिक भरसटाचार सायदे केहू बाँचि पावेला।
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बेटी समाज कऽ आधार होली सऽ औरी उन्हनीए पर दुनिया टिकल बे। लेकिन समय अईसन आईल कि बेटी ए समाज में बोझा बनि गईल बाड़ि सऽ औरी कुछ समाजन में तऽ आजो बेटी एगो जानवर से भी बाउर जिनगी जिए खाती मजबूर बाड़ी सऽ। केवनो सभ्यता औरी संस्कृति के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी ले ले जाए के काम एगो मेहरारुए करे ले जेवना खाती मरदाना मरे मारे खाती तईआर हो जालें। एसे जरुरी बा कि बेटी समाज में बरिआर होखे औरी अगर केहू एकरा खाती परियास करत बा तो ओकर आगे बढ़ि के आगवानी करे के चाँही। 

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