कहाउत - भाग -2

कहाउत जिनगी औरी समाज कऽ गियान कऽ सीसा होला। ए महता काम में श्री मुकुन्द मणि मिश्रा जी, श्रीमती उषा सिन्हा जी, श्री ओमप्रकाश यती जी, श्री संतलाल यादव जी, श्रीमती शची मिश्रा जी औरी श्रीमती समता सहाय जी बड़हन जोगदान बा।
---------------------------------------------------------------------
  1. दिन फिरे तऽ पाहुन कहाय, बिगरल दिन सार बनाय।
  2. पहीला दिने पहुना दोसरा दिने ठेहुना तिसरा दिने केहु ना।
  3. अइली न गइली, दुके बो कहइली।
  4. अघाईल खंसी लकड़ी चबाए।
  5. सियार का शरपले डांगर ना मुये
  6. अघाएल ना भुखाएल
  7. मुदई सुस्त गवाह चुस्त
  8. जाने ली चिलम रानी जिनका चढ़ेला अंगारी।
  9. धान के देस पेटाढी से चिन्हाए।
  10. राजा बुझे से न्याय।
  11. लूट लाव कूट खाॅव।
  12. चोरिन होइह त गलगर होइ।
  13. चोर के मुँह चान अइसन।
  14. सुधा के मुँह कुकुर चाटे।
  15. गोर चमइन गुमाने आन्हर। 
  16. चट लिटी पट गोईंठा। 
  17. चोर अजोर ना सहे। 
  18. साँच के शोर पताल ले। 
  19. सरबस चाही त अपने गाहीं। 
  20. ए छूछा के के पूछा। 
  21. मेहरी के मार डेहरी पर। 
  22. आँखी देखीं शाखी पूंछी।
  23. ओ दानी से सोम भला जे ठाड़े दे जवाब।
  24. विप्र टहरुआ,चीक धन अरु बेटी के बाप। ताहु से धन ना घटे,करिये बड़न से रार।।
  25. चट मंगनी पट ब्याह।
  26. परलें राम कुकुर के पाला, ठेल-ठाल के गईलें खाला।
  27. अङनी में मंगनी, बिलरिया माँगे आधा।
  28. सवती के खीस कठौती पर।
  29. धानहा देस पुअरा से चिन्हाय।
  30. छेंड़-भेंड़ जे हर हाँकित, तऽ काँहे लोग बैल पालित।
  31. चाल चलिहें सिधरी बीती रोहू के सिरे।
  32. चटकल त रहरी में खटकल त कचहरी में।
  33. खरवा खाते पनिया पीअत गुदुर-गुदुर।
  34. जहाँ पूछ ना बड़ाई तहाँ से भाग रे भाई।
  35. जे ऊँखियाड़ी में ना दी उ कोल्हूआड़ी में का दी।
  36. जेतना जेठ पुरुआ बहाई ओतने सावन धूरि उड़ाई।
  37. मकईया रे! तोर गुन गवलो ना जाला भात करे फटर-फटर रोटी छितराला माठा के संगे सर-सर घोटाला॥
  38. पुत अईसन तऽ, भतार कईसन।
  39. असो अईसन तऽ, आगे कईसन।
  40. बुढ़वा बेमन माँगे करईला के चोखा।
  41. सवती कै झार कठउती पर।
  42. बकसs बिलारि मुर्गा बाँड़े होके रहिहें।
  43. लोग ना लईका चललें दुवरिका। 
  44. तोर खालें लेड़ईं मोर खाले कुश। देखल जाई अगहन पुस॥
  45. जाने के ना सुने के, बाति खाली गुने के। 
  46. बेसवा रुसे तऽ धरम बाँचे। 
  47. सभ धान बाईस पसेरी। 
  48. छोट मोट कोतह गरदनिया। ए तीनों से डरे दुनिया॥ 
  49. दाँतल बछरू, पाकल बाँस। सीखे नाही देवे तरास॥
  50. लाजे भवहि बोले ना, सुवादे भसुर छोड़े ना।
------------------------------------------------------------------------------
<<< पिछिला                                                                                                                       अगिला >>>

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.