परस्तुत लेख में डा उमेशजी ओझा भोजपुरी फिलिम औरी संगीत के गानऽन के बारे में राय देले बानी। उँहा के लागत बा कि भोजपुरी गाना जेवना ओर जा रहल बा उ ठीक नईखे।
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आजू हमनी के देश में भोजपुरी बोलेवाल के संखेया
कम नईखे. बहुत ही आसान आ हिंदी से मिलत जुलत मीठा भाषा बा. जेकरा चलते एह भाषा के
दोसर भाषावाले लोगो आसानी से समझ जलऽन. बाकी आजू नचनिया
बजनिया आ माईक चबा जाए वाला लोग भोजपुरी के हंसबरवाह बनऽल अपना वासना के टूड गडा रहल बाडन . एकरा पीछे कही ना कही हमनी के जिम्मेवार बानी जा.
काहे कि आजू हर आदमी अईसन समस्या से जुझत बाडन कि जेकर उपाय ना त केकरो लगे बा आ
ना ही आसान बा. पाहिले खाली प्रकृति के कहर के मुकाबाला करके पडत रहे. जईसे बाढ़, सुखा,
बिमारी, जंगली जानवर के कहर, दोसरा देश के राजा के कहर समस्या पईदा करेवाला होत
रहे. एकर मुकाबला कईल आसान ना रहे. आजू समाज तकनिकी, लोकतंत्र, कानून, संस्था के सहायता
से एकरा मे से कईगो प विजय पा लिहल गईल बा. ओकरा बादो दोसर समस्या सामने आ जात बा.
आजू बहुत बड़हन संख्या में व्यक्तिवाद, अहंकार, पईसा, छोट होत परिवार, प्रेम आ
पेयार के अभाव, विवाद खड़ा कर रहल बा. आजू के लोग, घरन बढ़त विवाद के उपाए टीवी में
खोजत बाडन. जेकर हल टीवियो के लगे नईखे. ओकर काम तऽ मुख रूप से प्रोडक्ट बेचऽल बा.
टेलीविजन के बढ़िया जोरदार घुसपैठ त घरऽन में भईल. बाकिर अब बुझात बा कि ई बोलत आ नाचत बक्सा में फोटो आज के
लोग के आख के अपना ओर खिचे खातिर ढेर नईखे. नीरस छपल शब्दन से तनी बढ़ी के बढ़िया त
लागल, बाकी लोग अतना जल्दी एकरा से उकता जईहे एकर अंदाजा ना रहे. आ ना ही उनका रहे
जे एकरा में अरबो, खरबो लागे के बनवले रहले. अब थोडेही दिन में टेलिविज़न के आपन
नया अवतार ढूढे के पडऽत बा. ओकरा से अलग अईसन बुझात बा कि टेलीविजन
देखनिहार के नस पड़े में असफल बा.
टेलीविजन के कईगो चैनल में हंसी आ धर्म आ समाचार
चैनल में अपराध देखावल जा रहल बा. टीवी कबहियो बिगाड़ने के कम नहीं करता था. बाकी
अबही एकदम निम्न स्तर पर उतर गईल बा.
रामायण, महाभारत , कौन बनेगा करोड़ पति, तक पहुच
गईल ओकारा बाद रियल्टी सो, से होत कोमेडी तक. आज के कोमेडी आ रियल्टी सो में कवनो
मुद्दा नईखे ना कवनो जानकारी. बस कसहू देखनिहार के गुद्गुदावल जबरन हंसावल भा
उतेजित कईल बा. हमनी के देस में भी कोमेडी दुआर्थी से भरे लागल बा. दोसरा देस के
देखा देखि रियल्टी सोओ में नग्नता, सेक्स के फुहड़पन भरल जा रहल बा.
टेलीविजन होखे चाहे सिनेमा बस सब के एकही मकसद बा
विज्ञापनदाता के खरीदार जुटावल. विडम्बना ई बा कि आज के लोग आपन जीवन से निराश हो
चुकल बा आ खाली एक छन के हंसी आ उतेजना ढूढ़त बाडऽन. जेकरा के पकडे खातिर टेलीविजन आ सिनेमा लगातार कोशिश करऽत बा. जेकर बहुत असर पडऽल भोजपुरी गानऽन पऽ कि आजू भोजुपरी सिनेमा बानवे में फूहड़ता से भरल गाना भरल बाडेस. जानकर
के मुताबिक भोजपुरी सिनेमा बनावे में ओकर फैनेन्सेर द्वारा फूहड़ गाना सिनेमा में
डाले के दबाव बनवला प झट दे गाना तैयार हो जला आ सिनेमा में डलाइओजल. जेकर नतीजा
बा कि आज फूहड़ गानन के श्रेणी में भोजपुरी के लोग देखऽत बाडन. आज बुझात नईखे कि भोजपुरी गाना आपन कवन रूप में जा रहल बा.
जरुरत बा एकर अस्तित्व बचावे के. ना त दिन दूर नईखे जब भोजपुरी के लोग मजाकिया आ
फुह्ड़तावाला गाना समझे लगिहे.
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लेखक परिचय:-
पत्रकारिता वर्ष १९९० से औरी झारखण्ड सरकार में कार्यरत
कईगो पत्रिकन में कहानी औरी लेख छपल बा
संपर्क:-
हो.न.-३९ डिमना बस्ती
डिमना रोड मानगो
पूर्वी सिंघ्भुम जमशेदपुर, झारखण्ड-८३१०१८
ई-मेल: kishenjiumesh@gmail.com
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