आज रऊआँ सभ के सोझा मैना के छऊआँ अंक परस्तुत करत निक लागत बा। पिछिला अंकन नियन एहू अंक में खाली दू गो काब्य रचना बाड़ी सऽ।
- प्रभुनाथ उपाध्याय
----------------------------------------------------------------------------------
हमनी के राति दिन दुखवा भोगत बानी
हमनी के साहेब से मिनती सुनाइबि।
हमनी के दुख भगवानओं न देखता ते,
हमनी के कबले कलेसवा उठाइबि।
पदरी सहेब के कचहरी में जाइबिजां,
बेधरम होके रंगरेज बानि जाइबिजां,
----------------------------------------------------------------------------------
कहीं चहकेले चिरई
कहीं ढोल बाजेला!
ना घरे में लागेला मन
ना बने में लागेला!
---------------------------------------------------------------------------------------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें