बताई के - आर. डी. एन. श्रीवास्तव

काने में ढोल बजाई के
सभकर नाव बताई के॥

तस से भाईचारा क लीं
त हमके गरिआई के॥

नेतवे जब खइहें दुबरा संग
काटी दूध मलाई के॥

जे के देख ऊ काकी ह
गांव में अब भउजाई के॥

खेते में जब भूखिए ऊगी
मेंड के कगरी जाई के॥

इ समाजबादी नेयाऊ ह
खाई के आ मोटाई के॥

जब सभे 'इस्पीचे' देई
थपरी उहाँ बजाई के॥

अब ऊ एक से दू हो गइल
दादा के आ भाई के॥

चुनि के त हम भेजल बानी
संसद में अँउघाई के॥

केहू के जब होसे नइखे
केकर पता बताई के॥

ऊ त अमौसा के जनमल ह
ओकरा पर पतिआई के॥

साहूए जब डांडी मरिहें
चोरवन के लतिआई के॥
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लेखक परिचय:-

नाम: आर डी एन श्रीवास्तव
जनम: 10 दिसम्बर 1939
जनम थान: ग्राम - बैरिया, पो - रामकोला
जनपद कुशीनगर उत्तर प्रदेश
शिक्षा: एम ए (अंग्रेजी साहित्य)
संप्रति: प्रधानाचार्य (सेवानिवृत्त)
रचना: थाल में बाल, लेट द विण्डो बी ओपेंड (अनुबाद) आदि
संपर्क: जी - 3/22, रेल विहार फेज - 2
राप्तीनगर फेज - 4, चरगावाँ, गोरखपुर
मो नं: 9451518429, 770402957
अंक - 90 (26 जुलाई 2016)

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