देस आ दासा
मन चिहुँकेला, सोचे बेबाती
जे लोग राग कइसे लगइहें..
मन खउँझेला अन्हरे-पराती
जे जोग भाग कइसे जगइहें..
देस के आने प जिनगी चलौनीं
सीमा प पवनी, उ गाँवें गँवौनी
हठ पारेला भुइँयाँ रेघारी
तिरंग सान कइसे बढ़इहें..
पेरत दासा देखावे तमासा
छनहिं में तोला, त छनहिं में माशा
मन भटकेला बउड़म-देहाती
उतान नाँव कइसे करइहें.. .
चाह-उमीद घोंसारी लगावे
हाल बेहाल बवाल मचावे
सुख लउकेला सहिजन-डाढ़ी
खयाल बाग कइसे सजइहें.. .
आँखे तरेगन जोन्हीं जियाईं
सपना सजाईं त काया गँवाई
बड़ कचकेला कहँरत काठी
कि आहि लाग कइसे लगइहें.. .
जीयऽत सूगा उँघाइल कँछारी
सिरदल मनवाँ सँजोए बेमारी
जब दँवकेला साढ़हिं-साती
उपाइ लोग कइसे सुझइहें..
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गइल भँइसिया पानी में
गइल भँइसिया पानी में, अब
कइल-धइल सब बंटाधार!
बान्हबि पगहा, रउए ढूँसी
सुखहा मोन्हे मूड़ी ठूँसी
फेर घींच ले आईं, बान्हीं,
करीं फेरु से चारा-भूँसी!
मनमउजी ई भँइस बिया जे
मुहँवाँ मारे.. आन्ह दुआर?
कहवाँ-कहवाँ ई धावेले
अपने लीलल पगुरावेले
कतनो कोंचीं, कतनो छान्हीं
अपने मन के सब गावेले
परल कपारे सपना देखल
भँइस बन्हाइल.. अबकी बार !
देखीं रउए आपन लीला
घर के आँटा कइनीं गीला
खूब पेन्हाइब पाछा, पहिले -
चोत बटोरीं, लागल टीला
कूल्हि कइल्का गोबर कइलस
आपन भँइसी हऽ सरकार !
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लेखक परिचय:-
नाम: सौरभ पाण्डेय
एम-2 / ए-17, ए.डी.ए. कौलोनी
नैनी, इलाहाबाद -211008 (उप्र).
सम्पर्क - 09919889911
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