सौरभ पाण्डेय जी कऽ दू गो गीत

देस आ दासा


मन चिहुँकेला, सोचे बेबाती
जे लोग राग कइसे लगइहें..
मन खउँझेला अन्हरे-पराती
जे जोग भाग कइसे जगइहें.. 

देस के आने प जिनगी चलौनीं
सीमा प पवनी, उ गाँवें गँवौनी
हठ पारेला भुइँयाँ रेघारी
तिरंग सान कइसे बढ़इहें.. 

पेरत दासा देखावे तमासा
छनहिं में तोला, त छनहिं में माशा
मन भटकेला बउड़म-देहाती
उतान नाँव कइसे करइहें.. .

चाह-उमीद घोंसारी लगावे
हाल बेहाल बवाल मचावे
सुख लउकेला सहिजन-डाढ़ी
खयाल बाग कइसे सजइहें.. . 

आँखे तरेगन जोन्हीं जियाईं
सपना सजाईं त काया गँवाई
बड़ कचकेला कहँरत काठी
कि आहि लाग कइसे लगइहें.. . 

जीयऽत सूगा उँघाइल कँछारी
सिरदल मनवाँ सँजोए बेमारी
जब दँवकेला साढ़हिं-साती
उपाइ लोग कइसे सुझइहें.. 
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गइल भँइसिया पानी में


गइल भँइसिया पानी में, अब 
कइल-धइल सब बंटाधार! 

बान्हबि पगहा, रउए ढूँसी 
सुखहा मोन्हे मूड़ी ठूँसी
फेर घींच ले आईं, बान्हीं,
करीं फेरु से चारा-भूँसी!

मनमउजी ई भँइस बिया जे 
मुहँवाँ मारे.. आन्ह दुआर?

कहवाँ-कहवाँ ई धावेले
अपने लीलल पगुरावेले
कतनो कोंचीं, कतनो छान्हीं
अपने मन के सब गावेले

परल कपारे सपना देखल
भँइस बन्हाइल.. अबकी बार !

देखीं रउए आपन लीला
घर के आँटा कइनीं गीला
खूब पेन्हाइब पाछा, पहिले -
चोत बटोरीं, लागल टीला

कूल्हि कइल्का गोबर कइलस
आपन भँइसी हऽ सरकार !
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लेखक परिचय:-


नाम: सौरभ पाण्डेय

एम-2 / ए-17, ए.डी.ए. कौलोनी
नैनी, इलाहाबाद -211008 (उप्र).

सम्पर्क - 09919889911


अंक - 80 (17 मई 2016)

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