बिरहा गाए - गुलरेज शहजाद

सारंगी के धुन उतराला
करुणा के पानी में भींजल
राग फगुनिया
टपटप टपके
सांसन के लय
थरथर करे
दोसर ओरी
"बोल जोगीरा सs रs रs रs रs"
बाँचल जाता
बाकिर मनवाँ बहल जाता
करुणा के पानी में भींजल
लय का जवरे
मन में बेचैनी के अदहन
डभकत बाटे
डूबत आ उतराते कसहूँ
रतिया बीतल
खरगोंछाह सूरुज के किरिन
देह जरावे
बाकिर मनवां पसिजल जाए
करुणा में पानी में भींजल
बिरहा गाए

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.